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Inspirational Shayari
रहने दे गुंजाइशें जरा अपनी बेरुखी
रहने दे गुंजाइशें जरा अपनी बेरुखी
रहने दे गुंजाइशें जरा अपनी बेरुखी में
इतना ना तोड़ मुझे कि मैं किसी और से जुड़ जाऊँ
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कोन कहता हे मुसाफिर जख्मी नही
किसी शायर से कभी उसकी उदासी
कभी भी ख़ुशी मे शायरी नहीं
न ज़ख्म भरे न शराब सहारा
अजीब सी दास्तां है मेरी भी
हम इतना sweet नही कि diabeties
हमें नींद की इज़ाज़त भी उनकी
यूँ तो हम खुद ही ज़माने
मुझे किसी के बदल जाने का
बड़ी ही ताकत थी उनके अल्फ़ाज़
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