तेरी झलक को तरसता हूँ ज़िद अब ये छोड़ दूँ; ये जुल्म आज ना ढाओ तुम्हारी सालगिरह है; भटक रहा हूँ तेरी जात की जंजीरों में; चलो आज़ाद ही कर दो तुम्हारी सालगिरह है। हैप्पी एनिवर्सरी!
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तेरी झलक को तरसता हूँ ज़िद अब ये छोड़ दूँ; ये जुल्म आज ना ढाओ तुम्हारी सालगिरह है; भटक रहा हूँ तेरी जात की जंजीरों में; चलो आज़ाद ही कर दो तुम्हारी सालगिरह है। हैप्पी एनिवर्सरी!
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