जहाँ याद न आये वो तन्हाई किस काम की; बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की; बेशक अपनी मंजिल तक जाना है; पर जहाँ से अपने न दिखें वो उंचाई किस काम की।
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जहाँ याद न आये वो तन्हाई किस काम की; बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की; बेशक अपनी मंजिल तक जाना है; पर जहाँ से अपने न दिखें वो उंचाई किस काम की।
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