एक इंसान मिला जो जीना सिखा गया; आंसुओं की नमी को पीना सिखा गया; कभी गुज़रती थी वीरानों में ज़िंदगी; वो शख्स वीरानों में महफ़िल सजा गया।
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एक इंसान मिला जो जीना सिखा गया; आंसुओं की नमी को पीना सिखा गया; कभी गुज़रती थी वीरानों में ज़िंदगी; वो शख्स वीरानों में महफ़िल सजा गया।
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