जो ज़ख्म दे गए हो आप मुझे; ना जाने क्यों वो ज़ख्म भरता नहीं; चाहते तो हम भी हैं कि आपसे अब न मिलें; मगर ये जो दिल है कमबख्त कुछ समझता ही नहीं।
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जो ज़ख्म दे गए हो आप मुझे; ना जाने क्यों वो ज़ख्म भरता नहीं; चाहते तो हम भी हैं कि आपसे अब न मिलें; मगर ये जो दिल है कमबख्त कुछ समझता ही नहीं।
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