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वो जिसे समझती थी ज़िन्दगी मेरी
वो जिसे समझती थी ज़िन्दगी मेरी
वो जिसे समझती थी ज़िन्दगी मेरी धड्कनों का फरेब था; मुझे मुस्कुराना सिखा के वो मेरी रूह तक रुला गयी!
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अपनी कहे अपनी सुने अपने लिए
प्यार मे गम और दोस्ती मे
ऐसे मत देख पगली जानता हूँ
अकल कितनी भी तेज ह़ोनसीब के
वह कितना मेहरबान था कि हज़ारों
तैवर दीखाना हमे भी आता है
तुझे भूलकर भी न भूल पायेगें
उन की तो फितरत थी सब
दोस्तों जानता हूं मशहूर बहुत हैं
वो खुद पर गरूर करते है
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