आसमान को नींद आये तो सुलाऊं कहाँ; धरती को मौत आये तो दफ्नाऊं कहाँ; सागर में लहर उठे तो छुपाऊं कहाँ; आप जैसे दोस्त की याद आये तो जाऊं कहाँ।
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आसमान को नींद आये तो सुलाऊं कहाँ; धरती को मौत आये तो दफ्नाऊं कहाँ; सागर में लहर उठे तो छुपाऊं कहाँ; आप जैसे दोस्त की याद आये तो जाऊं कहाँ।
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