वक़्त के तूफ़ान में बिखरते चले गए; तन्हाई की गहराई में उतरते चले गए; जन्नत थी हर सुबह शाम जिन दोस्तों के साथ; एक-एक कर के सब बिछड़ते चले गए; पर शुक्र है WhatsApp का सब साले वापिस मिल गए।
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वक़्त के तूफ़ान में बिखरते चले गए; तन्हाई की गहराई में उतरते चले गए; जन्नत थी हर सुबह शाम जिन दोस्तों के साथ; एक-एक कर के सब बिछड़ते चले गए; पर शुक्र है WhatsApp का सब साले वापिस मिल गए।
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