आज फिर दिल ने कहा... ​आज फिर दिल ने कहा आओ भुला दे यादें; जिंदगी बीत गई और वही यादे-यादें; जिस तरह आज ही बिछड़े हो बिछड़ने वाले; जेसे एक उम्र के दुःख याद दिला दे यादें; काश मुमकिन हो कि इक कागजी कश्ती की तरह; खुद फरामोशी के दरिया में बहा दे यादें; वो भी रुत आये कि ए-जुद-फरामोश मेरे; फूल पते तेरी यादों में बिछा दे यादें; भूल जाना भी तो इक तरह की नेअमत है फ़राज ; वरना इंसान को पागल न बना दे यादें।

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