इक खिलौना टूट जाएगा... इक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा; मैं नहीं तो कोई तुझ को दूसरा मिल जाएगा; भागता हूँ हर तरफ़ ऐसे हवा के साथ साथ; जिस तरह सच मुच मुझे उस का पता मिल जाएगा; किस तरह रोकोगे अश्कों को पस-ए-दीवार-ए-चश्म; ये तो पानी है इसे तो रास्ता मिल जाएगा; एक दिन तो ख़त्म होगी लफ़्ज़ ओ मानी की तलाश; एक दिन तो मुझ को मेरा मुद्दा मिल जाएगा; छोड़ ख़ाली घर को आ बाहर चलें घर से अदीम ; कुछ नहीं तो कोई चेहरा चाँद सा मिल जाएगा।

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