इश्क़ करो तो ये भी सोचो... इश्क़ करो तो ये भी सोचो अर्ज़-ए-सवाल से पहले; हिज्र की पूरी रात आती है सुब्ह-ए-विसाल से पहले; दिल का क्या है दिल ने कितने मंज़र देखे लेकिन; आँखें पागल हो जाती है एक ख़याल से पहले; किस ने रेत उड़ाई शब में आँखें खोल के रखी; कोई मिसाल तो होना उस की मिसाल से पहले; कार-ए-मोहब्बत एक सफ़र है इस में आ जाता है; एक ज़वाल-आसार सा रस्ता बाब-ए-कमाल से पहले; इश्क़ में रेशम जैसे वादों और ख़्वाबों का रस्ता; जितना मुमकिन हो तय कर लें गर्द-ए-मलाल से पहले।

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