उस शाम वो रुखसत का... उस शाम वो रुखसत का समां याद रहेगा; वो शहर वो कूचा वो मकां याद रहेगा; वो टीस कि उभरी थी इधर याद रहेगा; वो दर्द कि उभरी थी उधर याद रहेगा; हाँ बज़्में-शबां में हमशौक जो उस दिन; हम थे तेरी जानिब निगरा याद रहेगा; कुछ मीर के अबियत थे कुछ फैज़ के मिसरे; एक दर्द का था जिनमे बयाँ याद रहेगा; हम भूल सके हैं न तुझे भूल सकेंगे; तू याद रहेगा हमें हाँ याद रहेगा।

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