एक क़तरा मलाल भी बोया नहीं गया; वो खौफ था के लोगों से रोया नहीं गया; यह सच है के तेरी भी नींदें उजड़ गयीं; तुझ से बिछड़ के हम से भी सोया नहीं गया; उस रात तू भी पहले सा अपना नहीं लगा; उस रात खुल के मुझसे भी रोया नहीं गया; दामन है ख़ुश्क आँख भी चुप चाप है बहुत; लड़ियों में आंसुओं को पिरोया नहीं गया; अलफ़ाज़ तल्ख़ बात का अंदाज़ सर्द है; पिछला मलाल आज भी गोया नहीं गया; अब भी कहीं कहीं पे है कालख लगी हुई; रंजिश का दाग़ ठीक से धोया नहीं गया।

Your Comment Comment Head Icon

Login