कभी नजरे मिलाने में...कभी नजरे मिलाने में जमाने बीत जाते है;कभी नजरे चुराने में जमाने बीत जाते है;किसी ने आँखे भी ना खोली तो सोने की नगरी में;किसी को घर बनाने में जमाने बीत जाते है;कभी काली सियाह राते हमें एक पल की लगती है;कभी एक पल बिताने में ज़माने बीत जाते है; कभी खोला दरवाजा सामने खड़ी थी मंजिल; कभी मंजिल को पाने में जमाने बीत जाते है; एक पल में टूट जाते है उम्र भर के वो रिश्ते; जिन्हें बनाने में जमाने बीत जाते है।

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