कहाँ तक आँख रोएगी... कहाँ तक आँख रोएगी कहाँ तक किसका ग़म होगा; मेरे जैसा यहाँ कोई न कोई रोज़ कम होगा; तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना रो चुका हूँ मैं; कि तू मिल भी अगर जाये तो अब मिलने का ग़म होगा; समन्दर की ग़लतफ़हमी से कोई पूछ तो लेता; ज़मीं का हौसला क्या ऐसे तूफ़ानों से कम होगा; मोहब्बत नापने का कोई पैमाना नहीं होता; कहीं तू बढ़ भी सकता है कहीं तू मुझ से कम होगा।

Your Comment Comment Head Icon

Login