गुलों के साथ अजल के... गुलों के साथ अजल के पयाम भी आए; बहार आई तो गुलशन में दाम भी आए; हमीं न कर सके तज्दीद-ए-आरज़ू वरना; हज़ार बार किसी के पयाम भी आए; चला न काम अगर चे ब-ज़ोम-ए-राह-बरी; जनाब-ए-ख़िज़्र अलैहिस-सलाम भी आए; जो तिश्ना-ए-काम-ए-अज़ल थे वो तिश्ना-काम रहे; हज़ार दौर में मीना ओ जाम भी आए; बड़े बड़ों के क़दम डगमगा गए ताबाँ ; रह-ए-हयात में ऐसे मक़ाम भी आए।

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