छोटे छोटे कई बे-फ़ैज़... छोटे छोटे कई बे-फ़ैज़ मफ़ादात के साथ; लोग ज़िंदा हैं अजब सूरत-ए-हालात के साथ; फ़ैसला ये तो बहर-हाल तुझे करना है; ज़ेहन के साथ सुलगना है कि जज़्बात के साथ; गुफ़्तुगू देर से जारी है नतीजे के बग़ैर; एक नई बात निकल आती है हर बात के साथ; अब कि ये सोच के तुम ज़ख़्म-ए-जुदाई देना; दिल भी बुझ जाएगा ढलती हुई इस रात के साथ; तुम वही हो कि जो पहले थे मेरी नज़रों में; क्या इज़ाफ़ा हुआ अतलस ओ बानात के साथ; भेजता रहता है गुम-नाम ख़तों में कुछ फूल; इस क़दर किस को मोहब्बत है मेरी ज़ात के साथ।

Your Comment Comment Head Icon

Login