तुझे उदास किया... तुझे उदास किया खुद भी सोगवार हुए; हम आप अपनी मोहब्बत से शर्मसार हुए; बला की रौ थी नदीमाने-आबला-पा को; पलट के देखना चाहा कि खुद गुबार हुए; गिला उसी का किया जिससे तुझपे हर्फ़ आया; वरना यूँ तो सितम हम पे बेशुमार हुए; ये इन्तकाम भी लेना था ज़िन्दगी को अभी; जो लोग दुश्मने-जाँ थे वो गम-गुसार हुए; हजार बार किया तर्के-दोस्ती का ख्याल; मगर फ़राज़ पशेमाँ हर एक बार हुए।

Your Comment Comment Head Icon

Login