तेरी हर बात...तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा करके;दिल के बाज़ार में बैठे है खसारा करके;मुन्तजिर हूँ के सितारों की जरा आँख लगे;चाँद को छत पर बुला लूँगा इशारा करके;आसमानों की तरफ फैंक दिया है मैने;चंद मिटटी के चरागों को सितारा करके;मैं वो दरिया हूँ कि हर बूंद भंवर है जिसकी;तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके।
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