तेरे ख़याल से... तेरे ख़याल से लौ दे उठी है तन्हाई; शब-ए-फ़िराक़ है या तेरी जलवाआराई; तू किस ख़याल में है ऐ मन्ज़िलों क्के शादाई; उन्हें भी देख जिन्हें रास्ते में नींद आई; पुकार ऐ जरस-ए-कारवान-ए-सुबह-ए-तरब; भटक रहे हैं अँधेरों में तेरे सौदाई; रह-ए-हयात में कुछ मरकले देख लिये; ये और बात तेरी आरज़ू न रास आई; ये सानिहा भी मुहब्बत में बारहा गुज़रा; कि उस ने हाल भी पूछा तो आँख भर आई; फिर उस की याद में दिल बेक़रार है नासिर ; बिछड़ के जिस से हुई शहर शहर रुसवाई।

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