दुनिया के ज़ोर... दुनिया के ज़ोर प्यार के दिन याद आ गये; दो बाज़ुओ की हार के दिन याद आ गये; गुज़रे वो जिस तरफ से बज़ाए महक उठी; सबको भरी बहार के दिन याद आ गये; ये क्या कि उनके होते हुए भी कभी-कभी; फ़िरदौस-ए-इंत्ज़ार के दिन याद आ गये; वादे का उनके आज खयाल आ गया मुझे; शक और ऐतबार के दिन याद आ गये; नादा थे जब्त-ए-गम का बहुत हज़रत-ए- खुमार ; रो-रो जिए थे जब वो याद आ गये।

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