न मिलने का वादा न मिलने का वादा न आने की बातें; कहाँ तक सुनें दिल जलाने की बातें; हमेशा वही सर झुकाने की बातें; कभी तो करो सर उठाने की बातें; कोई इस ज़माने की कहता नहीं है; सुनाते हो अपने ज़माने की बातें; कहाँ तक सुने कोई इन रहबरों की; हथेली पे सरसों उगाने की बातें; तरस खायेंगी बिजलियाँ भी यक़ीनन; जो सुन लें कभी आशियाने की बातें; अजब-सी लगे हैं फ़क़ीरों के मुँह से; किसी हूर की या ख़ज़ाने की बातें; कभी जो हुईं थीं हमारी-तुम्हारी; वो बातें नहीं हैं बताने की बातें।

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