बात करनी मुझे... बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी; जैसी अब है तेरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी; ले गया छीन के कौन आज तेरा सब्र-ओ-क़रार; बेक़रारी तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी; उन की आँखों ने ख़ुदा जाने किया क्या जादू; के तबीयत मेरी माइल कभी ऐसी तो न थी; चश्म-ए-क़ातिल मेरी दुश्मन थी हमेशा लेकिन; जैसी अब हो गई क़ातिल कभी ऐसी तो न थी; क्या सबब तू जो बिगड़ता है ज़फ़र से हर बार; ख़ू तेरी हूर-ए-शमाइल कभी ऐसी तो न थी।

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