मुझे मालुम है संगेदिल मुझे मालुम है संगेदिल तुझे इस बात का डर है; कि तेरी बेवफ़ाई का चर्चा मैं आम कर दूंगा; न आए रक़ीबों के तसव्वुर में कभी सादिक ; मैं अपने नामों को कुछ इस तरह बदनाम कर दूंगा; जब साथ में मिल जाए ख़ाक मेरी; जब तुझसे जुदा में हो जाऊं; जब हो जाए मय्यत दफ़न मेरी; जब गहरी नींद में मैं सो जाऊं; तुम आके मेरी तुरबत पे दीप जला जाना; ज़रा साथ उनके संगदिल तुम; आंखों से मोती बरसाना; फिर कब्र से लिपट के सादिक की; तुम दिल का हाल सुना जाना।

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