मेरी ग़ज़ल की तरह... मेरी ग़ज़ल की तरह उसकी भी हुकूमत है; तमाम मुल्क में वो सबसे खूबसूरत है; कभी-कभी कोई इंसान ऐसा लगता है; पुराने शहर में जैसे नयी ईमारत है; बहुत दिनों से मेरे साथ थी मगर कल शाम; मुझे पता चला वो कितनी खूबसूरत है; ये ज़ाईरान-ए-अलीगढ़ का खास तोहफ़ा है; मेरी ग़ज़ल का तबर्रुक दिलों की बरकत है।

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