मेरे क़ाबू में न... मेरे क़ाबू में न पेहरों दिल-ए-नाशाद आया; वो मेरा भूलने वाला जो मुझे याद आया; दिल-ए-वीराँ से रक़ीबों ने मुरादें पाईं; काम किस किस के मेरा ख़िर्मन-ए-बर्बाद आया; लीजिये सुनिये अब अफ़साना-ए-फ़ुर्क़त मुझ से; आप ने याद दिलाया तो मुझे याद आया; दी मु अज़्ज़िन ने अज़ाँ वस्ल की शब पिछले पहर; हाये कमबख़्त को किस वक़्त ख़ुदा याद आया; बज़्म में उन के सभी कुछ है मगर दाग़ नहीं; मुझ को वो ख़ाना-ख़राब आज बहुत याद आया।

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