मै यह नहीं कहता कि मेरा सर न मिलेगा; लेकिन मेरी आँखों में तुझे डर न मिलेगा; सर पर तो बिठाने को है तैयार जमाना; लेकिन तेरे रहने को यहाँ घर न मिलेगा; जाती है चली जाये ये मैखाने कि रौनक; कमज़र्फो के हाथो में तो सागर न मिलेगा; दुनिया की तलब है कनाअत ही न करना कतरे ही से खुश हो तो समन्दर न मिलेगा।

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