यूँ तो यारो यूँ तो यारो थकान भारी है; फिर भी ख़ुद की तलाश जारी है; हम में हर इक में इक परिन्दा है; और हर इक में इक शिकारी है; लोग दुनिया में दुख से मरते हैं; और दुख से हमारी यारी है; कितने ख़ुश हैं उन्हें कहाँ मालूम; हमने क़स्दन ये बाज़ी हारी है; दिल को बेमोल बेच आए हम; अपनी-अपनी दुकानदारी है।

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