ये क्या मक़ाम है वो नज़ारे कहाँ गए; वो फूल क्या हुए वो सितारे कहाँ गए; यारान-ए-बज़्म जुरअत-ए-रिंदाना क्या हुई; उन मस्त अँखड़ियों के इशारे कहाँ गए; एक और दौर का वो तक़ाज़ा किधर गया; उमड़े हुए वो होश के धारे कहाँ गए; दौरान-ए-ज़लज़ला जो पनाह-ए-निगाह थे; लेटे हुए थे पाँव पसारे कहाँ गए; बाँधा था क्या हवा पे वो उम्मीद का तिलिस्म; रंगीनी-ए-नज़र के ग़ुबारे कहाँ गए; बे-ताब तेरे दर्द से थे चाराग़र हफ़ीज ; क्या जानिए वो दर्द के मारे कहाँ गए।

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