वो खफा है तो कोई बात नहीं; इश्क मोहताज-ए-इल्त्फाक नहीं; दिल बुझा हो अगर तो दिन भी है रात नहीं; दिन हो रोशन तो रात रात नहीं; दिल-ए-साकी मैं तोड़ू-ए-वाइल; जा मुझे ख्वाइश-ए-नजात नहीं; ऐसी भूली है कायनात मुझे; जैसे मैं जिस्ब-ए-कायनात नहीं; पीर की बस्ती जा रही है मगर; सबको ये वहम है कि रात नहीं; मेरे लायक नहीं हयात ख़ुमार ; और मैं लायक-ए-हयात नहीं।
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