हम उनसे अगर मिल बैठते... हम उनसे अगर मिल बैठते है क्या दोष हमारा होता है; कुछ अपनी जसारत होती है कुछ उनका इशारा होता है; कटने लगी रातें आँखों में देखा नहीं पलकों पर अक्सर; याँ शामे-गरीबां का जुगनू या सुबह का तारा होता है; हम दिल को लिए हर देश फिरे इस जिंस के ग्राहक मिल न सके; ऐ बंजारों हम लोग चले हमको तो खसारा होता है; दफ्तर से उठे कैफे में गए कुछ शेर कहे कुछ कॉफ़ी पी; पूछो जो मआश का इंशा जी यूँ अपना गुज़ारा होता है। अनुवाद: जसारत = दिलेरी खसारा = नुकसान मआश = आजीविका

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