है हकीक़त में वही... है हकीक़त में वही प्यार को पाने वाले; अपने महबूब को पलकों पर बिठाने वाले; दिल की वीरानी को ख़ुशियों से सजाने वाले; इश्क़ का रोग जो खुद को है लगाने वाले; ज़िक्र तेरा भी वफ़ा वालों में होगा ऐ दोस्त; याद में बेवफ़ाई का दीप जलाने वाले; तेरे क़दमों में ये सारा जहां होगा एक दिन; माँ के होठों पे तबस्सुम को सजाने वाले; प्यार-ओ-उल्फ़त वफ़ा हमदर्दी मोहब्बत ये सब; कौन है दुनिया में अब इन को निभाने वाले।

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