​बहुत पानी बरसता है... बहुत पानी बरसता है तो मिट्टी बैठ जाती है; न रोया कर बहुत रोने से छाती बैठ जाती है; यही मौसम था जब नंगे बदन छत पर टहलते थे; यही मौसम हैं अब सीने में सर्दी बैठ जाती है; चलो माना कि शहनाई मोहब्बत की निशानी है; मगर वो शख़्स जिसकी आ के बेटी बैठ जाती है; बढ़े बूढ़े कुएँ में नेकियाँ क्यों फेंक आते हैं; कुएँ में छुप के क्यों आख़िर ये नेकी बैठ जाती है; नक़ाब उलटे हुए गुलशन से वो जब भी गुज़रता है; समझ के फूल उसके लब पे तितली बैठ जाती है...

Your Comment Comment Head Icon

Login