एक विवाहित बेटी का पत्र उसकी माँ के नाम
माँ तुम बहुत याद आती हो अब मेरी सुबह 6 बजे होती है और रात 12 बज जाती है तब
माँ तुम बहुत याद आती हो सबको गरम गरम परोसती हूँ और खुद ठंढा ही खा लेती हूँ तब
माँ तुम बहुत याद आती हो जब कोई बीमार पड़ता है तो एक पैर पर उसकी सेवा में लग जाती हूँ और जब मैं बीमार पड़ती हूँ तो खुद ही अपनी सेवा कर लेती हूँ तब
माँ तुम बहुत याद आती हो जब रात में सब सोते हैं बच्चों और पति को चादर ओढ़ाना नहीं भूलती और खुद को कोई चादर ओढाने वाला नहीं तब

माँ तुम बहुत याद आती हो सबकी जरुरत पूरी करते करते खुद को भूल जाती हूँ खुद से मिलने वाला कोई नहीं तब
माँ तुम बहुत याद आती हो यही कहानी हर लड़की की शायद शादी के बाद हो जाती है कहने को तो हर आदमी शादी से पहले कहता है माँ की याद तुम्हें आने न दूँगा पर फिर भी क्यों?
माँ तुम बहुत याद आती हो

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