एक लफ़्ज़ बनाया तुमको सुनाने के लिए
कितने अल्फ़ाज़ लिखे हमने जमाने के लिए
उनका मिलना ही मुकदर मे न था
वरना कयां कुछ नही किया उनको पाने के लिए
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एक लफ़्ज़ बनाया तुमको सुनाने के लिए
कितने अल्फ़ाज़ लिखे हमने जमाने के लिए
उनका मिलना ही मुकदर मे न था
वरना कयां कुछ नही किया उनको पाने के लिए
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