कभी खामोशी भी बहुत कुछ कह जाती है तड़पने क लिए सिर्फ़ यादे रह जाती है
क्या फ़र्क पड़ता है दिल हो या काग़ज़ जलने क बाद सिर्फ़ राख रह जाता है
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कभी खामोशी भी बहुत कुछ कह जाती है तड़पने क लिए सिर्फ़ यादे रह जाती है
क्या फ़र्क पड़ता है दिल हो या काग़ज़ जलने क बाद सिर्फ़ राख रह जाता है
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