तेरी डोली उठी, मेरी मैय्यत उठी
फूल तुझ पर भी बरसे फूल मुझ पर भी बरसे
फर्क सिर्फ इतना सा था तू सज गई, मुझे सजाया गया
तू भी घर को चली मैं भी घर को चला
फर्क सिर्फ इतना सा था तू उठ के गई मुझे उठाया गया
महफिल वहां भी थी लोग यहां भी थे
फर्क सिर्फ इतना सा था उनका हंसना वहां, इनका रोना
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