रिश्ते काँच की तरह होते है टूटे जाए तो चुभते है
इन्हे संभालकर हथेली पर सजना क्योकि इन्हे टूटने मे एक पल और बनाने मे बरसो लग जाते है
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रिश्ते काँच की तरह होते है टूटे जाए तो चुभते है
इन्हे संभालकर हथेली पर सजना क्योकि इन्हे टूटने मे एक पल और बनाने मे बरसो लग जाते है
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