हम अपना दर्द किसी को कहते नही
वो सोचते हैं की हम तन्हाई सहते नही
आँखों से आँसू निकले भी तो कैसे
क्योकि सूखे हुवे दरिया कभी बहते नही
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हम अपना दर्द किसी को कहते नही
वो सोचते हैं की हम तन्हाई सहते नही
आँखों से आँसू निकले भी तो कैसे
क्योकि सूखे हुवे दरिया कभी बहते नही
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