कितना अजीब है हमारे मन का तर्क: हम समझौता चाहते हैं तब जब गलत होते हैं; परंतु हम न्याय चाहते हैं तब जब दूसरे गलत होते हैं।
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कितना अजीब है हमारे मन का तर्क: हम समझौता चाहते हैं तब जब गलत होते हैं; परंतु हम न्याय चाहते हैं तब जब दूसरे गलत होते हैं।
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