प्यार किसी कवि की कोमल कलप्ना जैसा नहीं है। ये तो वो दो-धारी तलवार है जिसने कितनी महिलाओं को अपनी इच्छाओं और जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी और की इच्छा और जरूरत बनने पर मजबूर किया है।
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प्यार किसी कवि की कोमल कलप्ना जैसा नहीं है। ये तो वो दो-धारी तलवार है जिसने कितनी महिलाओं को अपनी इच्छाओं और जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी और की इच्छा और जरूरत बनने पर मजबूर किया है।
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