मन हमेशा पतन पाप की ओर जाता है; जल हमेशा ढाल की ओर बहता है! जल और मन का स्वभाव एक ही; जल यंत्र से ऊपर उठता है; और मन मन्त्र से ऊपर उठता है!
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मन हमेशा पतन पाप की ओर जाता है; जल हमेशा ढाल की ओर बहता है! जल और मन का स्वभाव एक ही; जल यंत्र से ऊपर उठता है; और मन मन्त्र से ऊपर उठता है!
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