महत्त्वाकांक्षा वो नहीं है जो इंसान करना चाहता है बल्कि वो है जो इंसान करता है क्योंकि बिना कर्म के महत्त्वाकांक्षा बस एक कल्पना है।
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महत्त्वाकांक्षा वो नहीं है जो इंसान करना चाहता है बल्कि वो है जो इंसान करता है क्योंकि बिना कर्म के महत्त्वाकांक्षा बस एक कल्पना है।
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