शरीर कभी भी पूरा पवित्र नहीं हो सकता; फिर भी सभी इसकी पवित्रता की कोशिश करते हैं; मन पवित्र हो सकता है; मगर अफ़सोस कोई कोशिश नहीं करता।
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शरीर कभी भी पूरा पवित्र नहीं हो सकता; फिर भी सभी इसकी पवित्रता की कोशिश करते हैं; मन पवित्र हो सकता है; मगर अफ़सोस कोई कोशिश नहीं करता।
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