नेकियां करके जो दरिया में कभी डाली हैं; वही तूफ़ान में मिल जाएँगी कश्ती बन कर।

कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढ़ाती है।

बुराई नौका में छिद्र के समान है। वह छोटी हो या बड़ी एक दिन नौका को डूबो देती है।

जब हम गलत होते है तो हम समझोता चाहते है और जब हम सही होते हैं तो न्याय चाहते है।

यदि आप गुस्से के एक क्षण में धैर्य रखते हैं तो आप दुःख के सौ दिन से बच सकते हैं।

दूसरों के प्रति हमारा नजरिया हमारे प्रति उनके नज़रिए को निर्धारित करता है।

जीत और हार आपकी सोच पर ही निर्भर करती है। मान लो तो हार होगी ठान लो तो जीत होगी।

यूँ ही रखते रहे बचपन से दिल साफ़ हम अपना; पता नहीं था कि कीमत तो चेहरों की होती है!

जो बच्चा अपने माता-पिता का सतिकार नहीं करता वो किसी का भी सतिकार नहीं कर सकता।

पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती है।

हर एक कठिनाई जिससे आप मुंह मोड़ लेते हैं एक भूत बन कर आपकी नीद में बाधा डालेगी।

जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप परमात्मा पर भी विश्वास नहीं कर सकते।

पहाड़ से गिरा हुआ आदमी फिर से उठ सकता है लेकिन नज़र से गिरा आदमी कभी नहीं उठ सकता।

हम बाहरी दुनिया में कभी शांति नहीं पा सकते हैं जब तक की हम अन्दर से शांत ना हों।

दर्द शिकायत की नहीं सहन करने की चीज़ है; संभाल के रखना इसको यह खुशियों का बीज है।