नशा पिलाके गिराना तो सबको आता है; मज़ा तो जब है कि गिरतों को थाम ले साकी; जो बादाकश थे पुराने वो उठते जाते हैं; कहीं से आबे-बक़ा-ए-दवाम ले साकी; कटी है रात तो हंगामा-गुस्तरी में तेरी; सहर क़रीब है अल्लाह का नाम ले साकी।

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