रात चुप चाप है पर चाँद खामोश नहीं; कैसे कह दूँ कि आज फिर होश नहीं; ऐसा डूबा हूँ मैं तुम्हारी आँखों में; हाथ में जाम है पर पीने का होश नहीं।
Like (0) Dislike (0)
रात चुप चाप है पर चाँद खामोश नहीं; कैसे कह दूँ कि आज फिर होश नहीं; ऐसा डूबा हूँ मैं तुम्हारी आँखों में; हाथ में जाम है पर पीने का होश नहीं।
Your Comment