तेरे इंतज़ार में यह नज़रें झुकी हैं; तेरा दीदार करने की चाह जगी है; न जानूँ तेरा नाम न तेरा पता; फिर भी न जाने क्यों इस पागल दिल में; एक अज़ब सी बेचैनी जगी है।
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तेरे इंतज़ार में यह नज़रें झुकी हैं; तेरा दीदार करने की चाह जगी है; न जानूँ तेरा नाम न तेरा पता; फिर भी न जाने क्यों इस पागल दिल में; एक अज़ब सी बेचैनी जगी है।
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