तकदीर ने जैसे चाहा हम वैसे ही ढल गये
बहुत संभल के चले फ़िर भी फिसल गये
किसी ने तोडा विश्वाश तो किसी ने तोडी आस
फिर भी जमाने को लगा कि हम ही बदल गये
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तकदीर ने जैसे चाहा हम वैसे ही ढल गये
बहुत संभल के चले फ़िर भी फिसल गये
किसी ने तोडा विश्वाश तो किसी ने तोडी आस
फिर भी जमाने को लगा कि हम ही बदल गये
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