दो वक़्त की रोटी कमाता हूँ दो वक़्त भगवान् की पूजा करता हु
इससे ज्यादा मेरी ज़रूरत नहीं और मुझ्रे खरीदने की तेरी ओकात नहीं
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दो वक़्त की रोटी कमाता हूँ दो वक़्त भगवान् की पूजा करता हु
इससे ज्यादा मेरी ज़रूरत नहीं और मुझ्रे खरीदने की तेरी ओकात नहीं
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